डॉ. विश्वास

“लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जहाँ हूँ उधर नहीं मिलती”

“उसने सौपा नहीं मुझको मेरे हिस्से का वज़ूद
उसकी कोशिश है कि मुझसे मेरी रंजिश भी रहे”

“उस सभा में सभ्यता के नाम पर जो मौन था
बस उसी के कथ्य में मौज़ूद तल की बात थी।”

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